ओमिक्रोन की वजह से विदेश में पढ़ाई करना कितना मुनासिब
एक ओर जहां ओमाइक्रोन के मामलों की बढ़ती संख्या ने उन छात्रों को चिंतित कर दिया है जो विदेश में पढ़ना चाहते हैं, वहीं उनके माता-पिता इस दुविधा में हैं कि अपने बच्चों को विदेश भेजा जाए या नहीं। अगर माता-पिता अपने बच्चों को विदेश भेजते हैं, तो कहां और कब भेजें? छात्रों के भविष्य से जुड़े इन अहम सवालों का जवाब देते हुए श्री. भावनूर सिंह बेदी ने कहा कि यह सच है कि भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना वायरस वेरियंट ओमाइक्रोन के मामले बढ़ रहे हैं और इससे सुरक्षित रहने के लिए हमें सरकार द्वारा जारी सभी निर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए। लेकिन अपने बच्चों के भविष्य से समझौता करना किसी भी प्रकार से ठीक नहीं है।
विक्टोरिया यूनिवर्सिटी के मिशेल इंस्टीट्यूट,ऑस्ट्रेलिया, के हालिया शोध का हवाला देते हुए, श्री बेदी ने कहा कि वास्तविकता यह थी कि विदेश में पढ़ने के इच्छुक छात्रों की संख्या 2020 की तुलना में 2021 में कई गुना बढ़ गई थी। उनहोंने बताया की शोध में पाया गया है कि कनाडा में नए विदेशी छात्रों की संख्या 2021 में 41.5% बढ़कर 2020 की तुलना में 420,805 हो गई है। यूके में 2021 में विदेशी छात्रों की संख्या 80% बढ़कर 356579 हो गई। इसी तरह संयुक्त राज्य अमेरिका में, 2021 में विदेशी छात्रों की संख्या 2020 की तुलना में दोगुने से अधिक, 221% बढ़कर 358371 हो गई। उन्होंने आगे कहा कि इस समय भारत से विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। उन्होंने यह भी कहा कि अब ऑस्ट्रेलिया ने अपने हवाई मार्ग खोल दिए हैं। छात्र भारत के साथ एक विशेष एयर बबल समझौते के तहत वहां जा सकते हैं, और ऑस्ट्रेलिया में पीआर की संभावना निकट भविष्य में अच्छी होने की उम्मीद है।
क्या कोरोना/ओमाइक्रोन के बढ़ते मामलों के चलते फिर से हवाई यात्रा पर रोक लगेगी? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए श्री बेदी ने कहा कि यह विभिन्न देशों द्वारा तैयार की जाने वाली नीतियों पर निर्भर करता है। लेकिन इस बात की उम्मीद कम ही है कि हवाई यात्रा पर फिर से रोक लगेगी। उन्होंने कहा कि हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने फिर से लॉकडाउन लगाने के विचार को खारिज कर दिया था। इसी तरह, अन्य देश उचित उपाय कर रहे हैं। विदेशी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों ने भी अपनी सरकारों के दिशा-निर्देशों के अनुसार आवश्यक उपाय किए हैं। छात्रों को कोविड-19 से बचाव के लिए जल्द से जल्द दोनों टीके लगवाएं और अपने भविष्य को ध्यान में रखकर विदेश में पढ़ाई करने का फैसला करें। उन्होंने कहा कि कोविशील्ड और कोवासिन दोनों टीके अब कनाडा में स्वीकृत हैं।
आगामी प्रवेश और पाठ्यक्रमों पर बोलते हुए, श्री बेदी ने कहा कि मई 2022 के लिए सीटें बहुत तेजी से भर रही हैं।जिससे यह बहुत जरूरी है कि छात्र समय पर अपनी सीट सुरक्षित न करें अन्यथा बाद में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल, निर्माण, आवास और भोजन, खुदरा और विनिर्माण के पाठ्यक्रमों से कनाडा में छात्रों को लाभ होगा। उन्होंने आगे कहा कि अन्य देशों के पाठ्यक्रमों के लिए छात्र पिरामिड विशेषज्ञों से मिल कर सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
बता दें की छात्रों की भारी मांग को देखते हुए पिरामिड ई-सर्विसेज 14 से 28 जनवरी तक दिल्ली, कोच्चि और पंजाब के विभिन्न शहरों में पिरामिड के कार्यालयों में शिक्षा मेलों का आयोजन करने जा रही है, जिसका विवरण इस प्रकार है: 14 जनवरी को जालंधर में (विशेषकर यूके, यूएसए, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी के लिए), फिर 17 जनवरी को जालंधर में, 18 जनवरी को मोगा में, 19 जनवरी को बठिंडा में, 20 जनवरी को पटियाला में, चंडीगढ़ में 21 जनवरी को, 24 जनवरी को लुधियाना, 25 जनवरी को होशियारपुर और दिल्ली में और 28 जनवरी को पठानकोट और कोच्चि में। इसके अलावा, पिरामिड 22 जनवरी को एक ऑनलाइन शिक्षा मेले की मेजबानी करेगा, जिसके बारे में छात्र पिरामिड की वेबसाइट से पता कर सकते हैं।
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